
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने बताया कि उन्होंने भारत-चीन संबंधों के “हालिया विकास” से शी को अवगत कराया।
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चर्चा में क्या रहा? LAC, रणनीति और शायद पुरानी बातें भी
मुलाक़ात में पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा तनाव, LAC पर 2020 से चला आ रहा सैन्य गतिरोध, और द्विपक्षीय संबंधों पर बात हुई।
जयशंकर ने वांग यी से भी बैठक की और “संवाद ही समाधान है” वाली पुरानी लेकिन Gold-Plated लाइन दोहराई।
क्यों अहम है ये यात्रा?
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यह 2020 गलवान संघर्ष के बाद विदेश मंत्री की पहली चीन यात्रा है।
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जयशंकर SCO सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं, पर असली सम्मेलन तो “भारत-चीन” के बीच है।
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चुनावी भारत और महाशक्ति बनने की कोशिश कर रहा चीन – दोनों को कैमरा फ्रेंडली रिश्ते दिखाने की ज़रूरत है।
कूटनीति या खींचतान?
भारत और चीन का रिश्ता कुछ वैसा ही है जैसे दो पड़ोसी जिन्हें एक ही बाउंड्री वॉल पर छत भी चाहिए और शांति भी।
कभी ‘डोकलाम’, कभी ‘गलवान’, अब ‘SCO’ – दोनों देश बातचीत करते हैं, लेकिन भरोसे पर अभी प्लास्टर ऑफ पेरिस लगा है।
शी और जयशंकर की मीटिंग – कूटनीति की चाय पर संवाद की चुस्की
बातचीत होना अच्छा संकेत है, लेकिन जब तक LAC पर सेना पीछे नहीं हटती, तब तक हर मीटिंग सिर्फ ‘डिप्लोमैटिक पगडंडी’ पर वॉकिंग मीटिंग ही कहलाएगी।
जयशंकर की इस यात्रा से उम्मीदें हैं – मगर सावधानी से, क्योंकि इतिहास गवाही देता है – चीनी रणनीति में चीनी कम नहीं होती!
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